जिले मे भाजपा ने मारी बाजी,कांग्रेस का हुआ जिले से सूपड़ा साफ.
प्रतिनिधि : अरबाज पठान ( वर्धा )
वर्धा जिला कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन 2014 की मोदी लहर के बाद से यह गढ़ ढहना शुरू हो गया. जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में से देवली विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा कायम रहा. आख़िरकार, इस चुनाव में, भाजपा ने सभी चार विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की और गांधी जिले से महाविकास अघाड़ी का सफाया कर दिया। जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों से 60 मतदाताओं ने अखाड़े में दाव लगा दिया था. इसमें आर्वी विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 18, देवली विधानसभा क्षेत्र में 14, हिंगनघाट विधानसभा क्षेत्र में 12 और वर्धा विधानसभा क्षेत्र में 16 उम्मीदवार मैदान में थे. जिले के कुल 11 लाख 28 हजार 392 मतदाताओं में से 69.29 प्रतिशत यानी 7 लाख 84 हजार 999 मतदाताओं ने अपने अधिकार का प्रयोग किया. 2019 विधानसभा चुनाव की तुलना में वोटिंग में 7.53 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसलिए, यह भविष्यवाणी की गई थी कि वर्धा और देवली निर्वाचन क्षेत्रों में स्वतंत्र उम्मीदवार चुनौती देंगे। इतना ही नहीं, बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत किसी को चौंका देगा तो किसी को ताकत दे देगा. आखिरकार शनिवार की सुबह जैसे ही वोटों की गिनती शुरू हुई, मतदाताओं ने शुरू से ही महायुति को वोट दिया और हर तरफ खुशी का माहौल शुरू हो गया. दोपहर तीन बजे तक लगभग चारों विधानसभा क्षेत्रों की तस्वीर साफ होने लगी. महायुति यानि भाजपा के चारों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का कमल खिलने से एक ही उत्साह नजर आया। चारों विधानसभा क्षेत्रों में दोहरी लड़ाई है और अन्य अपनी जमानत नहीं बचा पाए हैं. नतीजे आते ही जीत की तैयारियां शुरू हो गईं और शहर में नवनियुक्त विधायकों का जुलूस भी निकाला गया. इसके अलावा डॉ. पंकज भोयर ने जीत की हैट्रिक लगाई तो बीजेपी में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला. इसके अलावा हिंगनघाट में भी समीर कुनावर के हैट्रिक बनाने और ऐतिहासिक जीत हासिल करने पर सैन्य जुलूस निकाला गया. देवली विधानसभा क्षेत्र में पहली बार राजेस बकाणे के माध्यम से चारों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का कमल खिला। जहा एक और देवली विधानसभा से लगातार बार जितने वाले कांग्रेस के रंजीत कांबळे को इस बार जनता ने नकारा और वह डबल हैट्रिक नहीं कर पाय.
आर्वी से खासदार काळे की पत्नी हारी
आर्वी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की लड़ाई हाईहोल्टेज बताई जा रही थी. यहां सांसद अमर काले की पत्नी मयूरा काले राकां एसपी गुट से चुनाव लड़ रही थी, जबकि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चहेते सुमित वानखेड़े मैदान में उतरे थे. इस निर्वाचन क्षेत्र में नाटकीय रूप देखने मिला. दादाराव केचे की नाराजगी को वरिष्ठों ने शांत किया, दूसरी ओर सांसद अमर काले ने पत्नी के लिये टिकट प्राप्त करने से उन्हें भी नाराजगी का सामना करना पड़ा. दोनों दलों से कुछ पदाधिकारी व कार्यकर्ता इधर से उधर हुए, अंततः इस हाई वोल्टेज ड्रामे में भाजपा के सुमित वानखेड़े ने 39 हजार 729 रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल कर ली. उनकी विजय की घोषणा
होते ही कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया. सुमित वानखेड़े विजयी रैली निकालते हुए जनता का आभार माना.