बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर एडवोकेट इब्राहिम हबीब बख़्श ने जताई गहरी चिंता और की तीव्र निंदा
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अब्दुल कदीर बक्श ( हिंगणघाट )
प्रख्यात अधिवक्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट इब्राहिम हबीब बख़्श ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमलों की कठोर निंदा की है। उन्होंने इसे मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संबंधित सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल और सख्त कदम उठाने की अपील की।
एडवोकेट बख़्श ने कहा, “बांग्लादेश जैसे लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में अल्पसंख्यकों पर इस प्रकार के हमले केवल एक समुदाय विशेष पर आघात नहीं हैं, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए चिंता का विषय है। ऐसे घटनाक्रम देश के सांप्रदायिक सौहार्द और संवैधानिक मूल्यों पर एक गंभीर धब्बा हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे ये हमले धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक सहिष्णुता को खत्म करने की कोशिश हैं। ऐसे कार्य न केवल हिंसा और विभाजन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर बांग्लादेश की छवि को भी धूमिल करते हैं।
एडवोकेट बख़्श ने बांग्लादेश सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और सख्त कदम उठाए। उन्होंने सरकार से यह मांग की कि दोषियों को कानून के तहत कठोरतम सजा दी जाए ताकि ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो।
एडवोकेट बख़्श ने संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों और वैश्विक समुदाय से भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने कहा, “यह समय है कि अंतरराष्ट्रीय संगठन बांग्लादेश में मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं और वहां के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन का अधिकार दिलाने में सहायता करें।”
एडवोकेट बख़्श ने धर्मनिरपेक्षता और मानवता के मूलभूत सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म और संस्कृति के साथ शांतिपूर्ण ढंग से जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यकों पर हमले केवल एक समुदाय का मुद्दा नहीं हैं। यह एक वैश्विक समस्या है, जिसका समाधान केवल मिलजुलकर और सहिष्णुता के साथ ही संभव है।”
अपने वक्तव्य के अंत में एडवोकेट बख़्श ने समाज से आग्रह किया कि वे सांप्रदायिकता और घृणा फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ खड़े हों और आपसी सौहार्द को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि एकजुटता और सह-अस्तित्व ही ऐसी चुनौतियों का सबसे प्रभावी उत्तर है।
एडवोकेट इब्राहिम हबीब बख़्श के इस वक्तव्य ने न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दोहराया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मुद्दों पर सामाजिक, कानूनी, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।