1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगी नई व्यवस्था, हड़बड़ी में भी नहीं होगी अब गड़बड़ी! ऑनलाइन पैसा भेजने को लेकर RBI ने उठाया यह बड़ा कदम

Mon 30-Dec-2024,11:46 PM IST -07:00
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 अथर शेख ( वर्धा ) 

 

1. अब आरटीजीएस-एनईएफटी से पैसे ट्रांसफर करते समय दिखेगा लाभार्थी का नाम।

2. बैंक अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे।

उपभोक्ताओं को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने के लिए आरबीआई ने अहम पहल की है। अभी तक आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए पैसे ट्रांसफर करते समय लाभार्थी का खाता नंबर और नाम अपने आप दर्ज करना पड़ता था, लेकिन 1 अप्रैल से खाता नंबर डालने पर लाभार्थी का नाम सामने आ जाएगा.

केंद्रीय बैंक ने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से इस संबंध में एक प्रणाली विकसित करने को कहा है। इसमें सभी बैंकों को भी शामिल करने की सलाह दी गई है. बता दें कि सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में आरबीआई को आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान विधियों में लाभार्थी के नाम को सत्यापित करने की प्रणाली जल्द लागू करने को कहा था।

RBI ने जारी किया सर्कुलर

आरबीआई ने सोमवार को एक सर्कुलर में कहा, 'सभी बैंक जो रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस) सिस्टम और नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) सिस्टम के प्रत्यक्ष सदस्य या उप-सदस्य हैं, उन्हें एक अप्रैल, 2025 से पहले यह सुविधा ग्राहकों को देने की सलाह दी जाती है।' अभी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और इमीडिएट पेमेंट्स सर्विस (आईएमपीएस) सिस्टम पैसे ट्रांसफर करते समय लाभार्थी के नाम को सत्यापित करने की सुविधा प्रदान करते हैं।

अब ग्रहकों को मिलेंगी कई सुविधाएं

सर्कुलर में कहा गया है कि आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली में भागीदार बैंक अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से यह सुविधा प्रदान करेंगे। यह सुविधा शाखा में लेनदेन करने वाले ग्राहकों को भी उपलब्ध होगी। खास बात यह है कि यह घोषणा तत्कालीन आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 9 अक्टूबर 2024 को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान की थी.

निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी सुविधा

सर्कुलर में कहा गया है कि प्रेषक द्वारा दर्ज लाभार्थी की खाता संख्या और आइएफएससी कोड के आधार पर कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) के माध्यम से लाभार्थी का नाम दिखाई पड़ने लगेगा। यदि किसी कारणवश लाभार्थी का नाम प्रदर्शित नहीं होता है तो प्रेषक अपने विवेक से फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकता है। आरबीआई ने कहा है कि एनपीसीआई इस सुविधा से संबंधित कोई भी डेटा संग्रहीत नहीं करेगा। अगर कोई विवाद होता है तो धन प्रेषण बैंक और लाभार्थी बैंक विवाद का समाधान करेंगे। यह ग्राहकों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

आधे घंटे के बैच में काम करती है एनईएफटीए

नई एनएफटी प्रणाली आधे घंटे के बैच में काम करती है, जिससे यह कुछ अन्य भुगतान विधियों की तुलना में कम तात्कालिक हो जाती है। हालाँकि, इसकी सादगी और पहुंच के कारण इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। एनईएफटी लेनदेन आमतौर पर छोटी राशि के लिए उपयोग किया जाता है क्योंकि इसकी कोई न्यूनतम सीमा नहीं है। हालाँकि, बैंक नियमों के आधार पर हस्तांतरित की जा सकने वाली अधिकतम राशि की एक सीमा होती है।

आरटीजीएस का उपयोग कैसे किया जाता है?

 आरटीजीएस एक ऐसी प्रणाली है जो दो बैंक खातों के बीच वास्तविक समय में धनराशि स्थानांतरित करने में सक्षम बनाती है। एनईएफटी के विपरीत, आरटीजीएस मुख्य रूप से उच्च मूल्य के लेनदेन के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस माध्यम से फंड ट्रांसफर की न्यूनतम सीमा दो लाख रुपये है.